Monday, 27 October 2008

THOSE WHO LISTEN CALL OF OSHO...


सागर जैसे सरिता को बुलाता है

ऐसे ही मैंने तुम्हे पुकारा है

यही पुकार तुम्हारे प्राणों में गूंजी है

और गूँज सकी

क्योंकि वंहा सदा सदा से

उसकी प्रतीक्षा थी - प्यास थी

अब देर न करो

ऐसे भी बहुत देर हो चुकी है

ध्यान में उतरो

क्योंकि वहीँ और केवल वहीँ

मुझसे मिलन हो सकता है

और मुझसे ही नही

सबसे भी

और सबसे ही नही

स्वयं से भी

ओशो

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