Sunday, 28 December 2008

क्या मशीनें गरीब अमीर होती हैं क्या करोगे ....



आदमी में आत्मा है


इसे आप


स्वीकार करते हैं


या


इंकार करते हैं



आदमी में आत्मा नही है तो


आदमी सिर्फ़ एक मशीन है


दुःख में सुख में मशीन को क्या फर्क पड़ता है


एक मशीन को कोई दुःख होता है



किसी मशीन को आप गरीब कहते हैं


किसी कार को अगर पेट्रोल न मिले तो गरीब हो गई


किसी कार को पेट्रोल मिले तो वह अमीर हो गई


अगर मनुष्य पदार्थ है


कोई संवेदनशील चेतना आत्मा नही है


तो सिर्फ़ मशीन ही है


तो मशीन को न दुख होता है न सुख होता है


और मशीनों को तो कोई मारता नही


कि मारो ये आतंकवादी मशीन है


कि ये दुश्मन है इसे मारो



अगर मनुष्य संवेदनशील चेतना है आत्मा है


तो चेतना को आत्मा को


तो मारा जा सकता नही


फ़िर क्यों मारते हो



मारकर भी क्या मार लोगे


कोई मर सकता ही नही तो किसे मारोगे


धैर्य रखो


लोग तो अपने आप ही मर जाते हैं


जागो और जानो


देखो सुनो समझो पहचानो


ओशो

!

स्वयं के भीतर

जहाँ अस्तित्व से जोड़ है हमारा



वंहा रूट में उतर कर


जाना जाता है स्वयं को


पहचान होती है


स्वयं से


सबसे


भी

सर्व

!
से






No comments:

Post a Comment