
कौन मांगता है

अब
बस मौत
अंत

समाधान

ध्यान
मनुष्य मात्र की मौलिक समस्याओं का
एकमात्र अन्तिम समाधान

टेंशन देने वाले टेंशन लेने वाले टेंशन भुलाने वाले

टेंशन से ऊपर उठाने वाले
जगाने वाले
इस जगत में हर चीज द्वंद में है
!
अपने विपरीत के साथ है
होने का यही उपाय है
होने का यही उपाय है

आपके भीतर भी एक विरोध है
उस विरोध की वजह से ही आप संसार में हैं,
जब तक हम हैं पदार्थ में तब तक विपरीत होगा ,
अगर आपके भीतर आत्मा है तो

विपरीत आत्मा जैसी चीज भी होगी ,
!
नही तो आत्मा नही हो सकती है ,
अगर भीतर उच्चाशय होगा तो निम्नाश्य भी होगा,
आपके भीतर स्वर्ग की तरफ उड़ने की आकांशा है
तो नर्क में उतरने की जडें भी होंगी
आप एक युध्स्थल हैं जब तक आप न जागें

जब तक आप ना जाने,
अभी आप शरीर के तल पर उलझें हैं
!
कोई धन के लिए कोई पद के लिए ,
जिस दिन आप भीतर मुड़ते हैं
!
पाते हैं दो शक्तियाँ आपको खींच रहीं हैं
एक उपर की तरफ , एक नीचे की तरफ ,
!
ये खिंचाव जीवन का तनाव है
जिसमें भीतर कितनी शैतानी छिपी है
!
इसका पता चलता है ,
ऐसे हम खुद को कुछ भी मान कर
!
जी लेते हैं बिना जाने, बिना पहचाने ,
शायद इसीलिए सत्य से लोग बचतें हैं ताकि
इस मौलिक सच्चाई का पता न लगे
!
न खुद को न दूसरों को ,
पूछो अपने बने हुए संतो महात्माओं
!
गुरुओं से क्या कभी झाँका है भीतर
या यूँ ही
!
सस्ते में नाटक कर रहे हो धार्मिक होने
धर्म और सत्य इस पाप की खाई से गुजरे बिना
कभी किसी को नही मिला है न मिल सकता है ।
!

यही है वो भय जहाँ से आदमी धर्म से भटकता है
यहाँ के दर्शन से जो पीछे हटे वो नष्ट होता है
जो ऊपर उठे वो बुद्ध होता है सम्बुद्ध होता है ,
तनाव का यही उपयोग होता है ,
नीचे गिरे नशे में या ऊपर उठे ध्यान में
ये चुनाव होता है ,
एक ही समाधान होता है ....
ध्यान
ध्यान

और सिर्फ़ ध्यान
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