Sunday, 28 December 2008

जिन्दा जन्नत...HEAVEN COMES IN HAPPY MAN...

जिन्दा जन्नत

रोशन रूह को नसीब होती है

रूहों को शान्ति तृप्ति सिर्फ़ इसी शरीर में रहकर

रोशन होकर मिल सकती है

तभी तो रूहें शरीरों में आती हैं

जिहाद है वो धर्म युद्ध जिसे रूहें

अपने को पहचानने

रोशन होने के लिए

अंधे अंधेरे

अपने ही अंतर कूओं में

उतरने के लिए लड़ती हैं

वंहा पाती हैं नूर

नहा कर धुल जाती हैं

घुल जाती हैं नूर में- नूर ही हो जाती हैं

उनके सब किए अनकिये गुनाहों की सफाई हो जाती है

सदा सदा के लिए रूह- रूहे नजर हो जाती है

फ़िदा होती हैं जो रूहें -इस रूहे नजर से वो फिदायीन कही जाती हैं

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