Sunday, 28 December 2008

STOP AND SEE... THE TREASURE OF LIFE IS YOURS ...


जीवन की जो परम संपदा है

वह ठहरने

खडे होने से

दिखाई पड़ती है


दोड़ने से

दिखाई नही पड़ती

जीवन झूठ का एक जाल है

जैसा हमने उसे बना लिया है

उसमें झूठ जीतता है

उसमें झूठ सफल होता है

उसमें झूठ

सिंहासनों पर विराजमान होता है

लेकिन झूठ का लक्षण

उसके भीतर गहन दुख की कालिमा है

अँधेरी रात की तरह वंहा दुख है

दुख का सूत्र है सूख की मांग


आनंद की प्रतिष्ठा का मार्ग है

दुख का स्वीकार

दुख से भी सीखना

सीखने की क्षमता हमने खो दी है

वही हमारा पाप है

सज्जन दुर्जन का गुरु है और

दुर्जन सज्जन के लिए सबक है

जो न अपने गुरु को मूल्य देता है


और न ही जिसे अपना सबक पसंद है

वह वही है जो दूर भटक गया है

यधपि वह विद्वान हो सकता है

यही सूक्ष्म व गुहा रहस्य है

लेकिन बुरे आदमियों से सीखने के दो ढंग हैं

एक तो बुरे आदमी का अनुकरण करना

तब हमने अमृत को जहर बना लिया

और एक बुरे आदमी को अनुभव करना

और बुरे की पीडा

उसका दुख उसका संताप अनुभव करना

और यह सबक बन जाए

और बुरे की संभावना लीन हो जाए

तो

हमने जहर को अमृत बना लिया


कैसी भी हो स्थिति

स्वीकार करते

उसका गुण बदल जाता है

कितना ही गहन दुख हो

बीमारी हो पीड़ा हो मृत्यु आ रही हो

अगर आप स्वीकार कर लेते हैं

तो नजर बदल जाती है

वही असली बात है

और तुब मृत्यु भी मित्र बन जायेगी



और तुम्हे साक्षी ही बनाएगी

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