
जो लोग बाहर की यात्रा पर निकलतें हैं
रास्ते में ही चुक जातें है
भीतर के घर तक नही पहुंच पाते
मनुष्य का
यह अधर्म का इतना अन्धकार
ऐसे कभी कभार एकाध अवतार

उतरने से नही मिटेगा
जिस दिन सामूहिक चेतना के तल पर
करोडों करोड़ लोग

स्वयं की खोज
और
विराट की प्यास और पुकार से भरेंगे
उसी दिन पृथ्वी का वातावरण बदलेगा
बहुत घना अंधकार है
एक एक दिया जलाने से नही मिटेगा
हजार हजार दीये भीतरी ध्यान के जलने की जरूरत है

ताकि अँधेरा छुट जाए, घनी दुर्गन्ध है
एकाध फूल खिल जाए पृथ्वी पर
तो सुगंध नही फैलेगी
गाँव गाँव घर घर
एक एक आदमी के प्राणों पर फूल खिलेगा
तो सुगंध फैलेगी,

मनुष्य बहूत दुःख में जीया है
बहुत बहुत कष्ट में बहुत चिंता में
उस चिंता उस कष्ट उस पाप को
हम गरीबी मिटाए बिना
मिटा भी नही सकते हैं
हमने जो व्वयस्था दी है
आदमी को जीने की

वह ऐसी है उसमें कुछ लोग
अनिवार्य रूप से अमीर हो जायेंगे
और
काफी लोग अनिवार्य रूप से गरीब हो जायेंगे
और जो अमीर होंगे
उनका अमीर होना
गरीबों के गरीब होने पर निर्भर करेगा
यंहा जितनी गरीबी बढ़ती जायेगी
उतनी अमीरी बढ़ती जायेगी
यह व्यवस्था एक दम अधार्मिक है
पाप से भरी है
इस पाप से भरी व्वयस्था को तोड़ना पडेगा
तोड़ना जरूरी है
हिंसा से नही

गहरे प्रेम और समझ से भरी
ध्यान चेतना के विराट कर्म से ..


Estimados amigos:
ReplyDeletePor favor enviarme este video. Yo lo vi en YouTube, pero al parecer lo han sacado. ¿Dónde puedo ubicar el video completo? ¿Dónde puedo adquirirlo?
Muchas gracias
Gonzalo